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अपने ही अरमानों के क़ातिल हो गए, गुनाह-ए-इश्क में

अपने ही अरमानों के क़ातिल हो गए,
गुनाह-ए-इश्क में जो सामिल हो गए!

अधूरे थे जो हम शदियों से कभी,
आने से उनके कामिल हो गए!

लुटाकर उन पर हर खुशी जिंदगी की,
देखों इश्क में आमिल हो गए!

हमने भी लगाया था दिल फुरसत से कभी,
मिली बेवफ़ाई और मयखानों में दाखिल हो गए!

मुझे नाकारा ना समझ ऐ जिन्दगी,
वक्त के साथ हम भी काबिल हो गए!

दबा लिया हर दर्द, हर ज़ख्म सिने में,
और जिम्मेदारियों के हामिल हो गए! #कामिल #आमिल #हामिल
पूरा! फ़कीर! ढोना!
अपने ही अरमानों के क़ातिल हो गए,
गुनाह-ए-इश्क में जो सामिल हो गए!

अधूरे थे जो हम शदियों से कभी,
आने से उनके कामिल हो गए!

लुटाकर उन पर हर खुशी जिंदगी की,
देखों इश्क में आमिल हो गए!

हमने भी लगाया था दिल फुरसत से कभी,
मिली बेवफ़ाई और मयखानों में दाखिल हो गए!

मुझे नाकारा ना समझ ऐ जिन्दगी,
वक्त के साथ हम भी काबिल हो गए!

दबा लिया हर दर्द, हर ज़ख्म सिने में,
और जिम्मेदारियों के हामिल हो गए! #कामिल #आमिल #हामिल
पूरा! फ़कीर! ढोना!
rkant9296301400916

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