होंठो को तेरे चूमूँ कैसे तुमसे मिलकर झूमूँ ऐसे नशा शराब का कम है तेरे शबाब में दम है जिस्म अकेले में मिले कैसे जब दिल में ही तम है। तम= अँधेरा -ashish dwivedi ©Bazirao Ashish कुछ शब्द बदलना है