कभी डगमगाए नहीं हम राहों पर कभी घबराए नहीं हम राहों पर , अब ये बेचैनी सी क्यो है सब ठीक है फिर भी ये बेताबी क्यो है ।। लगता है आ गया कोई हौले से जिंदगी में मेरी लेकिन उसके आने से ये हलचल क्यो है ।। सुना था कभी हमने भी लहरों को किनारे मिलते है , देखा है साहिल पर उनके क्या हाल हुआ करते है।। जितनी गहराइयों में जाओ चले जाना याद हर पल ये भी रखना इन गहराइयों में जिंदगी क्यू कम है।। रूद्र हलचल