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कदमों की आहट सुनते ही मै पीछे मुड़ी, भयावह आकृति

कदमों की  आहट सुनते ही मै पीछे मुड़ी,
भयावह आकृति  दो परछाइयां थी खड़ी।

डरी, सहमी,व्यथित,रुदन करती बोली वो,
सुनाने लगी जुल्म की दास्तां सांसें उखड़ी।।

क्या दोष था मेरा जो स्मिता लूटी हैवानों ने?
लहूलुहान हुआ लाश मेरी झाड़ी में हैं पड़ी।

चीखी,चिल्लाई,गिड़गिड़ाई जोड़े हाथ कितने।
लाज बचाने की खातिर मैं बल भर थी लड़ी।

तड़पती-भटकती है रुह मेरी कितने वर्षों से,
कब लगेगी मेरे उन गुनाहगारों को हथकड़ी?

नारी होना ही बना अपराध दूषित समाज में,
आप बीती सुनाने को तुझसे  आज हूं जुड़ी।।

अर्चना तिवारी तनुज

©Archana Tiwari Tanuja
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#MyThoughts  22/02/2023
कदमों की  आहट सुनते ही मै पीछे मुड़ी,
भयावह आकृति  दो परछाइयां थी खड़ी।

#horrorstories #hountedstories #selfrespect #womensrights #humenity #nozotoEnglish #nozotohindi #nozotowrites #MyThoughts 22/02/2023 कदमों की आहट सुनते ही मै पीछे मुड़ी, भयावह आकृति दो परछाइयां थी खड़ी। #सस्पेंस

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