गृहस्थ और वैराग्य के मध्य उलझे कुछ विचार, कुछ भाव, कुछ मान्यताएं, और, उनका उत्तर खोजती मैं... इसी उधेड़बुन में यह कहनी रच गई... ' हिमाद्रि ' कैप्शन में पढ़े... हिमालय....यह....नाम सुनते ही तीव्र अद्यात्मिक ऊर्जा का संचार सा होने लगता है मेरे भीतर । फिर भी आज तक हिमालय दर्शन का सौभाग्य, प्राप्त ना हो सका। और जिन लोगो ने दर्शन किये है, उनमें भी जिन्होंने हिमालय को अध्यातम की नजर से न देखा हो, वो शायद ही हिमालय की प्रतिष्ठा, उसके महात्म्य और रहस्यो को जानते होंगें। हर वर्ष कैलाश मानसरोवर, केदारनाथ और बद्रीनाथ के लिए लाखो लोग धार्मिक चार धाम की यात्रा करते है , फिर भी हिमालय की आत्मा कुछ एक के हृदय को ही छू पाती है, परिणामस्वरूप इस अनुभुती को प्र