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कुण्डलिनी छंद– "माँ" "माँ" बिन  सूना सा  लगे, भर

कुण्डलिनी छंद– "माँ" 

"माँ" बिन  सूना सा  लगे, भरा  हुआ संसार।
संतति के प्रति हृदय में, उमड़े हरपल प्यार॥
उमड़े हरपल  प्यार, सहे हर  कष्ट रात दिन।
जीवन का  उद्धार, नहीं हो सकता "माँ" बिन॥

©दिनेश कुशभुवनपुरी
  #कुण्डलिनी #छंद #माँ  Ritu Tyagi RJ राहुल द्विवेदी 'स्मित' Priya Rajpurohit सुनील 'विचित्र' सूर्यप्रताप सिंह चौहान (स्वतंत्र)