मुफ़लिसी में अपना खव्वाब बेचता हूं, ख़ारों के बीच गुलाब बेचता हूं । हाक़िमों ने चढ़ा रक्खा है भ्रष्ट चश्मा, मैं कोर्ट के आगे शराब बेचता हूं । चुनाव क्या है? पैसे का कारोबार है, आ जा कुर्सीयों का हिसाब बेचता हूं । सुख-चैन छीन कर कह उठा यह शहर, मैं मगरूरियत का ख़िताब बेचता हूं। #बेचता हू