चूड़ियाँ कुछ तो लाल रक्खी हैं
जाने क्यों कर संभाल रक्खी हैं
जिन किताबों में फूल थे सूखे
शेल्फ से वो निकाल रक्खी हैं
हैं तो ये गल्त-फहमियाँ लेकिन
चाहतें दिल में पाल रक्खी हैं
बे-झिझक रात में चले आना
रास्तों पर मशाल रक्खी हैं #गए#मोहब्बत#दर्द#इश्क#इंतजार