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मै दस्तूर-ए- ज़माने को मान कर पैदा हुआ संतोष नहीं

मै दस्तूर-ए- ज़माने को मान कर पैदा हुआ संतोष नहीं 

मै ज़िद हू एक बच्चे की; जो कुछ और समझता ही नहीं  #NojotoQuote यही से शुरू है
मै दस्तूर-ए- ज़माने को मान कर पैदा हुआ संतोष नहीं 

मै ज़िद हू एक बच्चे की; जो कुछ और समझता ही नहीं  #NojotoQuote यही से शुरू है