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नित जीवन के संघर्षो से, जब टूट चूका हो अंतर मन। तब

नित जीवन के संघर्षो से,
जब टूट चूका हो अंतर मन।
तब सुख के मिले समंदर का,
रह जाता कोई अर्थ नहीं।

©minki mohini gupta
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