याद तो उसे भी बहुत आती हैं मेरी, मगर जताना नही आता। दर्द अकेले ही सह लेती हैं सारे, मगर बताना नही आता। अभी भी घर से मेरी रवानगी पर, अपने आंसू घूँघट की आड़ में छुपा लेती हैं। वो माँ हैं मेरी, उसे मुझे गले लगाना नही आता। कोशिश तो करती हैं उदासी छुपाने की, मगर उसे छुपाना नही आता। "मैं ठीक हूँ, मुझे कुछ नही हुआ" कहके झूठ तो बोल लेती हैं अपनी हर बीमारी में मुझसे वो, मगर बहाना उसे कोई बनाना नही आता। वो माँ हैं मेरी, उसे मुझे गले लगाना नही आता। मेरी ख़ुशी में ही हो जाती हैं इतना खुश वो, खुद के लिए उसे सपने सजाना नही आता। आज भी वो रो देती हैं मेरे रोने पर, पापा की तरह उसे हंसाना नही आता। वो माँ हैं मेरी, उसे मुझे गले लगाना नही आता। मेरी फ़िकर में आंखें तो बन्द हो जाती हैं उसकी, मगर फ़िकर में उसे सो जाना नही आता। माथे पर चिंता की लकीरें तो आ जाती हैं कई दफा, मगर हक उसे जताना नही आता। वो माँ हैं मेरी, उसे मुझे गले लगाना नही आता। वो माँ हैं मेरी, उसे मुझे गले लगाना नही आता। #मोनिका वर्मा #HappyDaughtersDay2020