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नही हू मैं खुश ये बताना जरूरी है क्या! शांत हूँ मै

नही हू मैं खुश ये बताना जरूरी है क्या!
शांत हूँ मैं , मेरी मजबूरी समझ लेना जरूरी है क्या!
चुप हो गया हूं अचानक उसके पीछे का कारण जानना जरूरी है क्या!
नहीं रहा पहले जैसा मुझे पहले जैसा होना जरूरी है क्या! 
पसंद है ये खामोशी ,ये अकेलापन, भीड़ में चलना जरूरी है क्या
एक तरफा रह गया है मेरा प्यार,  दोनो तरफा होना जरूरी है क्या !

©bharat dixit
  #शांत
bharatdixit3871

bharat dixit

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#शांत #Life

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