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भेजे कभी गुलाब जो तुमने क़िताब में, महफ़ूज अभीतक ह

भेजे कभी गुलाब जो तुमने क़िताब में,
महफ़ूज अभीतक है ख़्वाबों ख़याल में,    
   
दिवानगी की हद तक चाहेगा भला कौन,
ख़ुश्बू समेट रक्खा अबतक रूमाल में,

तोहमत लगाने वालों ज़रा पूछते उनसे, 
घबराये आज भी दिल उन्के सवाल में,

रुख़सत हुए जिग़र से तो बे-शक मलाल था,
क्या ही तो बिगड़ जाएगा कुछ हालचाल में,

दिल का सुकून चेहरे पे मुस्कान है लाती, 
तरकस में तीर रखते तो काला है दाल में,

ख़ुश रहने का विकल्प कोई दूसरा नहीं, 
पड़ता  है  कौन  वाहिद  ऐसे  बवाल में,

लहरों से दोस्ती कर नौका बचा लिये, 
रहने दो मुझे गुंजन अपने ही हाल में,
     ---शशि भूषण मिश्र 'गुंजन'
              चेन्नई तमिलनाडु

©Shashi Bhushan Mishra #भेजे कभी गुलाब जो#
भेजे कभी गुलाब जो तुमने क़िताब में,
महफ़ूज अभीतक है ख़्वाबों ख़याल में,    
   
दिवानगी की हद तक चाहेगा भला कौन,
ख़ुश्बू समेट रक्खा अबतक रूमाल में,

तोहमत लगाने वालों ज़रा पूछते उनसे, 
घबराये आज भी दिल उन्के सवाल में,

रुख़सत हुए जिग़र से तो बे-शक मलाल था,
क्या ही तो बिगड़ जाएगा कुछ हालचाल में,

दिल का सुकून चेहरे पे मुस्कान है लाती, 
तरकस में तीर रखते तो काला है दाल में,

ख़ुश रहने का विकल्प कोई दूसरा नहीं, 
पड़ता  है  कौन  वाहिद  ऐसे  बवाल में,

लहरों से दोस्ती कर नौका बचा लिये, 
रहने दो मुझे गुंजन अपने ही हाल में,
     ---शशि भूषण मिश्र 'गुंजन'
              चेन्नई तमिलनाडु

©Shashi Bhushan Mishra #भेजे कभी गुलाब जो#