इत्तेफ़ाक़ से ही मिलती है, इत्तेफ़ाक़ पर चलती है, हँसती-रोती, गाती-सुनती, ढलती और मचलती है, क्या कहने दुनियादारी के, बंदर के और मदारी के, पानी का बुलबुला जानो, बाकी सब तो खाक़ है, क्योंकि ज़िंदगी इत्तेफ़ाक़ है ! #yqdidi #yqhindi #life #yqpoetry #coincidence #yqspecial #yqbaba #irony_of_life