ना नफ़रत है, ना कुछ पाने की हसरत है जहाँ पर सिर्फ़ "प्रेम" की ही तो बरकत है परवाह तिरी है, बस यही मेरी मोहब्बत है इश्क मेरा पाक, बाकी सब तो तिजारत है इश्क़ मुकम्मल यही ख़ुदा की जियारत है होती मीन-मेख इश्क़ में बस सियासत है दिल की बस्ती सुन्दर यही मेरी विरासत है तू ख़ुदा इश्क़ का करता दिल ये इबादत है तिजारत:_ व्यापार मीन मेख:_ कमियां ♥️ Challenge-660 #collabwithकोराकाग़ज़ ♥️ इस पोस्ट को हाईलाइट करना न भूलें :) ♥️ रचना लिखने के बाद इस पोस्ट पर Done काॅमेंट करें।