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बैठ न जाना, न आंसू बहाना, तुम ऐसे निराश होकर, ज़रा

बैठ न जाना, न आंसू बहाना, तुम ऐसे निराश होकर,
ज़रा देखो तो सूरज तो रोज़ निकलता है आसमान में।
सोचे अगर वो, क्या मिलता है रोज़ उसे यूं ही जलकर,
चांद रात के अंधेरे में निकले, कोई न उसका जहान में।

©Amit Singhal "Aseemit"
  #बैठ #न #जाना