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एक दीवाना था। (पार्ट 8) उस रात अक्षत ने जल्दी से ख

एक दीवाना था।
(पार्ट 8) उस रात अक्षत ने जल्दी से खाना खा लिया और अपने कमरे में आ गया। नींद तो आने वाली नहीं थी। बस रात-भर सोचता रहा। कभी लगता कि अपने दिल की सुने तो कभी लगता कि नेहा से शादी कर लेना ही बेहतर होगा। पर क्या तनूजा को भुला कर वह नेहा को खुश रख पायेगा? क्या वह खुद खुश रह पायेगा? फिर से सवाल बहुत सारे थे पर जवाब एक भी नहीं।
सुबह उठ कर जब नाश्ता करने के लिये गया तब…
“अक्षत, आज से में भी दुकान आऊँगा।“ मनहरलालजी ने कहा।
“जी पापा।“
“यह अच्छा हुआ।“ रमाबहन बोली।
“नेहा के लिये कपड़े और आभूषण खरीदने है। तो में चाहती हुँ की अक्षत भी हमारे साथ आये।“
“में नेहा से शादी नहीं करना चाहता।“ अक्षत ने अचानक ही कह दिया।
“क्या?” सुनकर सभी चौक उठे।
एक दीवाना था।
(पार्ट 8) उस रात अक्षत ने जल्दी से खाना खा लिया और अपने कमरे में आ गया। नींद तो आने वाली नहीं थी। बस रात-भर सोचता रहा। कभी लगता कि अपने दिल की सुने तो कभी लगता कि नेहा से शादी कर लेना ही बेहतर होगा। पर क्या तनूजा को भुला कर वह नेहा को खुश रख पायेगा? क्या वह खुद खुश रह पायेगा? फिर से सवाल बहुत सारे थे पर जवाब एक भी नहीं।
सुबह उठ कर जब नाश्ता करने के लिये गया तब…
“अक्षत, आज से में भी दुकान आऊँगा।“ मनहरलालजी ने कहा।
“जी पापा।“
“यह अच्छा हुआ।“ रमाबहन बोली।
“नेहा के लिये कपड़े और आभूषण खरीदने है। तो में चाहती हुँ की अक्षत भी हमारे साथ आये।“
“में नेहा से शादी नहीं करना चाहता।“ अक्षत ने अचानक ही कह दिया।
“क्या?” सुनकर सभी चौक उठे।