अहंकारिओं की सत्ता में, अपना सम्मान जरुरी है पग -पग की इस दासता में, अपना अभिमान जरुरी है असुरों की इस भोग -विलासिता में, कुछ नियम कानून जरुरी है चौसड़ की घिनौनी प्रतियोगिता में, क्यों द्रौपदी का अपमान जरुरी था प्रजा की वाद -विवादिता में, क्यों सीता पर लांछन जरुरी था नित नन्ही कलियों की कोमलता में, क्यों कलंकित दामन जरुरी है भारत माँ की इस ममता में, क्यों दानवो का पोषण जरुरी है मय से भरी इस मादकता में, क्यों कलियों का शोषण जरुरी है डूबी पड़ी धरा आराजकता में बन दामिनी, दमन जरुरी है रक्तबीज की, अधमता में, बन चंडी, शमन जरुरी है अहंकारियों की सत्ता में, अपना सम्मान जरुरी है