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बस अल्फाजों के पिंजरे से, कविता का मान नहीं होता।

बस अल्फाजों के पिंजरे से,
 कविता का मान नहीं होता।
बस सरिता के कह देने से,
जलजीवों का उत्थान नहीं होता।

मात्र स्वपन में अभिलाषा से,
 कौवा मधुर नहीं गाता।
विषधर को शहद चटाने से,
 कभी मीठा जहर नहीं आता।

जिसकी चर्चा दुनिया करती,
खुद के वंदन गीत नहीं गाता।
अतिशय कमजोर सिंह चाहे,
पर खरपतवार नहीं खाता। #perfect practise ..
बस अल्फाजों के पिंजरे से,
 कविता का मान नहीं होता।
बस सरिता के कह देने से,
जलजीवों का उत्थान नहीं होता।

मात्र स्वपन में अभिलाषा से,
 कौवा मधुर नहीं गाता।
विषधर को शहद चटाने से,
 कभी मीठा जहर नहीं आता।

जिसकी चर्चा दुनिया करती,
खुद के वंदन गीत नहीं गाता।
अतिशय कमजोर सिंह चाहे,
पर खरपतवार नहीं खाता। #perfect practise ..