ये दूरी सिर्फ तुम्हें छूने से हमें रोक सकता है प्रेम करने से नहीं तुम भले ही मुझसे दूर हो पर मेरी हृदय गति से पुछो कैसे इन दूरी को क्षण भर में पार कर तुम्हारे समीपस्थ आने के लिए सदैव कितना व्याकुल रहता है माना तुम मुझसे दूर हो पर ये दूरी मायने नही रखता है क्योंकि कहने को मेरा ये देह सिर्फ यहां पर है पर सच कहूं तो मेरा हृदय मेरा अंतस मेरा अवयव सब कुछ तुम्हारे पास है। ©comrade prem Jay shree Krishna