इंसान मुस्तक़बिल को सोच के अपना हाल ज़ाया करता है, फिर मुस्तक़बिल मैं अपना माज़ी याद कर के रोता है। मुस्तकबिल = भविष्य, माज़ी = भूतकाल, हाल = वर्तमान शेख़ सादी भविष्य-वर्तमान-भूतकाल