सकुन कोन कहता है कि जिन्दगी में खाओ, पिओ ओर मस्ती करो। उम्र के लिहाज से फिकर का आना-जाना लगा रहता है, सोच ने मे मजबूर होना परता है, कभी कभी उम्मीद टुट जाता है, हसते हसते रोना आजाता है, जिने की लिए सहारा ढुनना परता है। भटकते भटकते किनारा मिल जाता है - "जिस का कोई नही उसका खोदा है"। जिने की सहारा मिल जाता है, जिने की मकसद पास बुलाता है, बस दिल मे सकुन आजाता है।