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हे! प्रभु, मन में मेरे ना आए कभी अभिमान। जिससे लोग

हे! प्रभु, मन में मेरे ना आए कभी अभिमान।
जिससे लोग तंज कस कर ना कर जाएं मेरा अपमान।।

हृदय में बस रहे मेरे इतना मान जीवित रहे बस मेरा स्वाभिमान।
ताकि सारे अपने पराए इस जग के दें मुझे प्यार और सम्मान।।

एक स्त्री होने का है मुझे गर्व और अभिमान।
जीवन में मस्तक ऊँचा कर जीने की शान।।

समय होता सबसे बलवान वो रहता हमेशा गतिमान।
आचरण व्यवहार अच्छा रहे जिसके कारण न टूटे आत्मसम्मान।।

जीवन में ना करना सफलता का अहंकार।
बैठा है ऊपर सर्वशक्तिमान सबसे बड़ा नाटककार।।



 ❤ प्रतियोगिता- 703

❤आज की कविता प्रतियोगिता के लिए हमारा विषय है  👉🏻🌹"अभिमान"🌹 

🌟 विषय के शब्द रचना में होना अनिवार्य  है I कृप्या 
केवल हिंदी भाषा के शब्दों का प्रयोग कर अपनी रचना को उत्कृष्ट बनाएं I 

🌟wallpaper को  contrast करते हुए ध्यान रहे कि ये visible हो।
हे! प्रभु, मन में मेरे ना आए कभी अभिमान।
जिससे लोग तंज कस कर ना कर जाएं मेरा अपमान।।

हृदय में बस रहे मेरे इतना मान जीवित रहे बस मेरा स्वाभिमान।
ताकि सारे अपने पराए इस जग के दें मुझे प्यार और सम्मान।।

एक स्त्री होने का है मुझे गर्व और अभिमान।
जीवन में मस्तक ऊँचा कर जीने की शान।।

समय होता सबसे बलवान वो रहता हमेशा गतिमान।
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