तेरे ही गलियों में आज शाम है मेरी, आके एक बार मिल मुझसे, मेरी जिंदगी की डोर अब मेरे हाथों में नहीं,एक बार थाम ले इसे, थामले इन हाथों को किसी और का ना होने दें, वादा है नजरे ना मिला आएंगी आंखें, बस एक बार देख ले इसे, निगाहें भर देख बेबसी को दूर कर जा मेरे, ओंठ दबे हुए हैं अब मेरे ,आके अल्फाजों को बयां कर दे, दिल पर एक बोझ है मेरे आके उतार दे इसे, मेरी चाहते तो कब की चल बसी,अब रूह को भी दफनाकर मुझे सुकून अदा कर दे, टूटा तो दिल तेरा भी है फिर भी इसे मेरा ही रहने दे , तेरे ही गलियों में आज शाम है मेरी,आके एक बार मिल मुझसे... तेरे ही गलियों में आज शाम है मेरी