एक अजीब सा डर मन में है । एक अजीब कंपन तन में है।। सब अंग शिथिल से दीख रहे, इतना भय इस निर्वासन में है।। एक नए शहर में जाना होगा। बाहर का अब खाना होगा।। कुछ चेहरे नए दिखाई देंगे, पूरा नया जमाना होगा।। बड़े शहर के तौर तरीके। रहना खाना और सलीके।। अब चौराहे पर जाना है, हम राजा थे एक गली के।। अतरंगी दुनिया के नजारे सब रंग बिरंगे गोरे कारे सब झूठी मुस्कान लिए भीतर से वे सब दुखियारे सारे अपने सभी पराए अपना दुख सब किसे सुनाएं अधरों पर गंभीर शांति अंतर्मन में रोए गाए एक इच्छा है नाम करेंगे। ऐसा कोई काम करेंगे।। वाकी भावी होनी ही है, जो करना है राम करेंगे।। ©Pramudit Pandey krishn" #lonely #migration #ghar #yad #bahari_duniya