फिर वर्षा को आते देखा रेगिस्तान मे वही मासूमित लिए जैसे मौसम हो बहार के अपनी धरा से सींच रहा मिट्टी को जैसे प्यासे बैठी हो उसी कीआस में नई जान दे गई मृत पड़े रेगिस्तान को, नवजीवन दे गई हर इंसान की वर्षा