स्वावलंबन से होत है, व्यक्ति के व्यक्तित्व का विकास, चेतना आती है उसमे, नहीं करता कभी किसी से आस।। बाक़ी कैप्शन में पढ़े..👇👇 आत्मनिर्भरता अथवा स्वावलंबन का अर्थ है स्वयं पर निर्भर रहना...... हम बचपन से यही सीखते आएं है की आत्म निर्भर बनो, अपना काम स्वयं करो, किसी पर निर्भर ना रहो, अपने लक्ष्य पर स्वयं निशाना साधो, मेहनत ख़ुद करो, आत्मनिर्भरता और स्वावलंबन इन दोनों को अगर तोड़ कर देखेंगे तो भी हमें यही बताएंगे की.....आत्म निर्भर रहो, स्वयं पर निर्भर रहो, कभी किसी से कोई अपेक्षा ना करों। आत्मनिर्भता ही मनुष्य का मूल सिद्धांत होना चाहिए, मूल आदर्श और उसके उद्देश्य का मूल तंत्र होना चाहिए.....