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कैसे मेरी ज़िंदगी झोपडी में भी ठाठ मार जाती है , शर

कैसे मेरी ज़िंदगी झोपडी में भी ठाठ मार जाती है ,
शर्म के मारे हवेली की मुस्कान को काठ मार जाती है।

मुश्किलों से खोलता हूँ मैं तहों में बंधी मुस्कान को ,
बदनसीबी आकार फिर होंठो पर गांठ मार जाती है ।

दिल मेरा फिर से बचपन का हुए जाता है और,
घुटनो में दर्द लिए हुए उम्र ये साठ मार जाती है।

मुहब्बत से मुतमुइन नही हूँ , ये अपना तज़ुर्बा है पर,
शौखी से हँस दे वो, मुहब्बत फिर गुलाट मार जाती है।

आशिकों की पूरी फ़ौज ही टूट पड़ती है "राणा"
एक हसीना जो फेसबुक पे  आँख मार जाती है। कैसे मेरी #ज़िंदगी #झोपडी में भी #ठाठ मार जाती है ,
#शर्म के मारे #हवेली की मुस्कान को #काठ मार जाती है।

#मुश्किलों से खोलता हूँ मैं #तहों में बंधी #मुस्कान को ,
#बदनसीबी आकार फिर #होंठो पर #गांठ मार जाती है ।

दिल मेरा फिर से #बचपन का हुए जाता है और,
#घुटनो में दर्द लिए हुए उम्र ये #साठ मार जाती है।
कैसे मेरी ज़िंदगी झोपडी में भी ठाठ मार जाती है ,
शर्म के मारे हवेली की मुस्कान को काठ मार जाती है।

मुश्किलों से खोलता हूँ मैं तहों में बंधी मुस्कान को ,
बदनसीबी आकार फिर होंठो पर गांठ मार जाती है ।

दिल मेरा फिर से बचपन का हुए जाता है और,
घुटनो में दर्द लिए हुए उम्र ये साठ मार जाती है।

मुहब्बत से मुतमुइन नही हूँ , ये अपना तज़ुर्बा है पर,
शौखी से हँस दे वो, मुहब्बत फिर गुलाट मार जाती है।

आशिकों की पूरी फ़ौज ही टूट पड़ती है "राणा"
एक हसीना जो फेसबुक पे  आँख मार जाती है। कैसे मेरी #ज़िंदगी #झोपडी में भी #ठाठ मार जाती है ,
#शर्म के मारे #हवेली की मुस्कान को #काठ मार जाती है।

#मुश्किलों से खोलता हूँ मैं #तहों में बंधी #मुस्कान को ,
#बदनसीबी आकार फिर #होंठो पर #गांठ मार जाती है ।

दिल मेरा फिर से #बचपन का हुए जाता है और,
#घुटनो में दर्द लिए हुए उम्र ये #साठ मार जाती है।
rajeshsuryavansh1699

Rajesh Raana

Silver Star
Growing Creator