कि तुम जब जब भी आओगे मुझे राह तकता पाओगे मैं चाहूँ भी तो मेरी जां ये हरदम हो नहीं सकता हूँ इक इन्सां बंधा मज़बूरियों से वक़्त के हाथों नहीं दीवार जिसको लौट कर भी यूँ ही पाओगे #अंजलिउवाच #YQdidi #दीवार #राह #इंतज़ार #मज़बूरी #इंसान