# पीड़ा से जनी सुभागी ... सौंठ के लड्डू चखती ... मेरी गदबदी कविताएँ पन्नों का बिस्तर बनाती और सो जाती यूँ ही बिन प्रेमी के आज सोहर भी गाएगीअकेली ही... चाँदी की झांझर पहने....और