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चाहे हो उगता सूरज, हो चाहे ढलते सूरज का दीदार। कश्

चाहे हो उगता सूरज,
हो चाहे ढलते सूरज का दीदार।
कश्ती पर हो सवार सम्भाल पतवार,
कराए जो मझधार पार।

उगता - ढलता सूरज,
देता तन मन को महका।
मिले जहा पर अपनो का प्यार,
मुश्किल हो जाती तन्हा।

न अस्त होने पर कर गम, 
न कर उदय होने की उजागर खुशी।
पकड़ा रह नेक कर्मो की डोर, 
हो तू वृद्ध या युवा निभा प्रीत जीवन की।

पाव को मत बांध, 
बेरुखे मन की जंजीरों से जोड़।
पछताएगा वरना अपने को पाकर,
जग में वेमोल।

चाह न तू धन दौलत की रखना, 
हो जाएंगी एक दिन सब राख।
जला खुद को कर्म रूपी अग्नि में, 
करेगी तेरा रूप श्रृंगार ।

©👦Mysterious Words🧒 #WatchingSunset 
#Sunrise
#SunSet 
#Inspiration
#quates
चाहे हो उगता सूरज,
हो चाहे ढलते सूरज का दीदार।
कश्ती पर हो सवार सम्भाल पतवार,
कराए जो मझधार पार।

उगता - ढलता सूरज,
देता तन मन को महका।
मिले जहा पर अपनो का प्यार,
मुश्किल हो जाती तन्हा।

न अस्त होने पर कर गम, 
न कर उदय होने की उजागर खुशी।
पकड़ा रह नेक कर्मो की डोर, 
हो तू वृद्ध या युवा निभा प्रीत जीवन की।

पाव को मत बांध, 
बेरुखे मन की जंजीरों से जोड़।
पछताएगा वरना अपने को पाकर,
जग में वेमोल।

चाह न तू धन दौलत की रखना, 
हो जाएंगी एक दिन सब राख।
जला खुद को कर्म रूपी अग्नि में, 
करेगी तेरा रूप श्रृंगार ।

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