हर लफ्ज़ में वही बसने लगा है हर याद में उसी के जाले रहते है ! इतने उधड़ चुके है हक़ीक़त में के हर शब आँखों मे प्याले रहते है ! छलककर ख्वाबों में बिखर जाते है तो कभी अंधेरे गले लगा लेते है ! यू ही नही फ़क़त गुमनामी में डूबे है हम तो हर वक्त उसी के हवाले रहते है ! गवारा नही हमे कि अब किसी के हो जाएं जुगनू वहाँ कहा होते है जहाँ उजाले रहते है ! और उस दरिया में क्या मिलेगा गोते खाने से मख़सूस जहां नगीने नही सिर्फ कसाले रहते हैं #आपका_चूहा