विश्वास को खोया था कल, जो गैरजरूरी था, किया था हाथों से दूर, दिल से दिल को, उस रात से अब खूब रोया हूं, जब मजबूर होकर, यादों में सोया था, दुनिया जीतने की ललक थी, खत्म समझ अब छोड़ी है। आज मेरे #सपने जरूर है #अडिग है #उम्मीद #रौशन है दूर सही लेकिन मंजूर नहीं है हार मान कर आश छोड़ना