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दिल कभी किसी का दुखाया नहीं मैंने। स्वार्थ से दिल

दिल कभी किसी का दुखाया नहीं मैंने।
स्वार्थ से दिल को दिल से लगाया नहीं मैंने।
वो और होंगे राधे जो भूल जाते हैं,
यहां तो सासो को जिस्म से जुदा किया नहीं मैंने।
वक़्त ने तुझको बदल दिया है शायद,
यहां दिल के बाग में नये पत्ते खिलाएं नहीं मैंने। दिल के बाग में मैंने...........!
दिल कभी किसी का दुखाया नहीं मैंने।
स्वार्थ से दिल को दिल से लगाया नहीं मैंने।
वो और होंगे राधे जो भूल जाते हैं,
यहां तो सासो को जिस्म से जुदा किया नहीं मैंने।
वक़्त ने तुझको बदल दिया है शायद,
यहां दिल के बाग में नये पत्ते खिलाएं नहीं मैंने। दिल के बाग में मैंने...........!