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सुनो ना... ये ख़त तुम को हैरान करेगा... मोबाइल के

सुनो ना...
ये ख़त तुम को हैरान करेगा... 
मोबाइल के जमाने में आज कल कोई भी चिठ्ठी लिखकर
 बेवकूफी नहीं करता.. हां, 
मैं बेवकूफ हूं, 
इसलिए भूत सवार हे ख़त लिखने की..
बहुत दिनों की इच्छा को आज कागज़ पर लिखनीं है..

आप जानते हो ना...
जो बात हम नहीं कह पाते, 
वो आसानी से लिख पाते हैं.. 
मेरी इच्छा होती है ये बताने को की
मैं कितनी चाहता हूं, पर कह नहीं पाता ..
आज लिख रहा हूं सुनो...

सागर के गहराई से भी ज्यादा गहराई है मेरे प्यार में,
कल्पनाओं में बहुत कुछ सोच लेता हूं,,
चांदनी रात में आपका चेहरा
दिखाई देता है सागर के साहिल के रेत पर...

तुम्हारे पैरों पर पैर रखकर चलने लगता हूं मैं,
लहरों जब घुटने तक आ जाता, मैं तुम्हें छोड़कर भागता नहीं, 
तुम्हे कसकर पकड़ लेता हूं, ताकि तुम्हारी सांसों में घुल जाऊं,
सच में बहुत सुकून मिलता है मुझे. ये सब नहीं कह सकता ना...

तो चलो हम भी वही पुरानी युग में चलते हैं,,
एक बार फिर से ख़त लिखते हैं ..
आप भी..बहुत दूर हो , 
देखना जब चिठ्ठी मिलेगी, तब पता चलेगा तुम्हे , 
मैं क्या क्या कर सकता हूं.. तुम्हारे लिए..
बहुत कुछ लिखना है,,,अगले ख़त में.

©Raj Alok Anand
  #चिट्टी