माँ मुझको तुझपे नाज़ है (Part-II) हर दर्द को तू कितनी आसानी से सहती है हर बात छुपा जाती है, किसी से ना कुछ कहती है तू कितनी रहस्यमयी, क्या छुपाए तूने राज़ है माँ मुझको तुझपे नाज़ है, माँ मुझको तुझपे नाज़ है कभी मेरी गलतियां, मुझको तू बतलाती है और कभी सुने बिना, गुस्सा तू हो जाती है कभी मुझे मनाती, कभी ख़ुद हो जाती नाराज है माँ मुझको तुझपे नाज़ है, माँ मुझको तुझपे नाज़ है इसलिए तो माँ शत-शत तुझे प्रणाम है माँ शत-शत तुझे प्रणाम है Part 1 #maa #mummy #mumma #yqpoetry #naaz #naazkibaat