आओ चलें.… थाम कर हम किसी उम्मीद की, कोई डोर चलें; अंधेरा छोड़कर आओ, उजाले की ओर चलें।। अपनी कश्ती को संभालें, ज़रा कोशिस तो करें; हवाएं चाहे जमाने कि, किसी ओर चलें।। मंज़िलें दूर हैं, पर लोग कई पहुंचे हैं वहां; लेके सूरज का दिया; हम भी किसी भोर चलें। © "विशाल" #NojotoQuote आओ चलें... #मैं_और_उम्मीद...