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ह्रदय में तुम, या यूं कह दूं की हृदय तुम्ही हो कभी

ह्रदय में तुम, या यूं कह दूं
की हृदय तुम्ही हो
कभी जो न प्रकट कर पाईं
भाव सम्मुख तुम्हारे 
फिर भी समझ लेना 
कि आरंभ में भी तुम 
और अंत में भी तुम्ही हो ।

©seema patidar आरंभ, अन्त ,मेरे अहसास
ह्रदय में तुम, या यूं कह दूं
की हृदय तुम्ही हो
कभी जो न प्रकट कर पाईं
भाव सम्मुख तुम्हारे 
फिर भी समझ लेना 
कि आरंभ में भी तुम 
और अंत में भी तुम्ही हो ।

©seema patidar आरंभ, अन्त ,मेरे अहसास
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