अच्छा खासा बैठा रहता ,फिर गुम हो जाता हूँ। जाने क्यों अपनो के बीच,अपने मे खो जाता हूँ।। हरपल रहती है साथ मेरे,जिम्मेदारियों की भीड़, जाने फिर कैसे खुद-ब-खुद,अकेले हो जाता हूँ। अच्छा खासा बैठा रहता, फिर गुम हो जाता हूँ।। हंसती-खेलती जिंदगी में, खामोश हो जाता हूँ। भागमभाग दुनियाँ में अक्सर,थम सा जाता हूँ।। चलती रहती है उलझने,दिनभर आवा-जाई में, फिर बाजार के शोरगुल में,दबकर रह जाता हूँ। अच्छा खासा बैठा रहता ,फिर गुम हो जाता हूँ।। #अकेला अच्छा खासा बैठा रहता ,फिर गुम हो जाता हूँ। जाने क्यों अपनो के बीच,अपने मे खो जाता हूँ।। हरपल रहती है साथ मेरे,जिम्मेदारियों की भीड़, जाने फिर कैसे खुद-ब-खुद,अकेले हो जाता हूँ। अच्छा खासा बैठा रहता, फिर गुम हो जाता हूँ।। हंसती-खेलती जिंदगी में, खामोश हो जाता हूँ।