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अच्छा खासा बैठा रहता ,फिर गुम हो जाता हूँ। जाने क्

अच्छा खासा बैठा रहता ,फिर गुम हो जाता हूँ।
जाने क्यों अपनो के बीच,अपने मे खो जाता हूँ।।
हरपल रहती है साथ मेरे,जिम्मेदारियों की भीड़,
जाने फिर कैसे खुद-ब-खुद,अकेले हो जाता हूँ।
अच्छा खासा बैठा रहता, फिर गुम हो जाता हूँ।।

हंसती-खेलती जिंदगी में, खामोश हो जाता हूँ।
भागमभाग दुनियाँ में अक्सर,थम सा जाता हूँ।।
चलती रहती है उलझने,दिनभर आवा-जाई में,
फिर बाजार के शोरगुल में,दबकर रह जाता हूँ।
अच्छा खासा बैठा रहता ,फिर गुम हो जाता हूँ।। #अकेला
अच्छा खासा बैठा रहता ,फिर गुम हो जाता हूँ।
जाने क्यों अपनो के बीच,अपने मे खो जाता हूँ।।
हरपल रहती है साथ मेरे,जिम्मेदारियों की भीड़,
जाने फिर कैसे खुद-ब-खुद,अकेले हो जाता हूँ।
अच्छा खासा बैठा रहता, फिर गुम हो जाता हूँ।।

हंसती-खेलती जिंदगी में, खामोश हो जाता हूँ।
अच्छा खासा बैठा रहता ,फिर गुम हो जाता हूँ।
जाने क्यों अपनो के बीच,अपने मे खो जाता हूँ।।
हरपल रहती है साथ मेरे,जिम्मेदारियों की भीड़,
जाने फिर कैसे खुद-ब-खुद,अकेले हो जाता हूँ।
अच्छा खासा बैठा रहता, फिर गुम हो जाता हूँ।।

हंसती-खेलती जिंदगी में, खामोश हो जाता हूँ।
भागमभाग दुनियाँ में अक्सर,थम सा जाता हूँ।।
चलती रहती है उलझने,दिनभर आवा-जाई में,
फिर बाजार के शोरगुल में,दबकर रह जाता हूँ।
अच्छा खासा बैठा रहता ,फिर गुम हो जाता हूँ।। #अकेला
अच्छा खासा बैठा रहता ,फिर गुम हो जाता हूँ।
जाने क्यों अपनो के बीच,अपने मे खो जाता हूँ।।
हरपल रहती है साथ मेरे,जिम्मेदारियों की भीड़,
जाने फिर कैसे खुद-ब-खुद,अकेले हो जाता हूँ।
अच्छा खासा बैठा रहता, फिर गुम हो जाता हूँ।।

हंसती-खेलती जिंदगी में, खामोश हो जाता हूँ।