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गीता ज्ञान भागवत गीता मे कर्म की परिभाषा दी गई है।

गीता ज्ञान
भागवत गीता मे कर्म की परिभाषा
दी गई है।
जो सत्य है
हम मुख से जो वर्णों का उच्चारण
करते है उच्चारण करने पर
वर्णों की जो ध्वनि या
 आवाज़ निकलती है
उस आवाज में जो शक्ति निहित है अर्थात जो शक्ति महसूस होती है
वहीं कर्म है
यदि कोई पवित्र सोचता है 
तो उसमे पवित्रता की शक्ति
होती
है।

©Dharmraj lohar
  कर्म की परिभाषा

कर्म की परिभाषा #विचार

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