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ग़ज़ल एक झूठी आस दिलबर से मिली। बेवफाई जब सितमगर

ग़ज़ल 
एक झूठी आस दिलबर से मिली। 
बेवफाई जब सितमगर से  मिली। 

दिल जला कर वो हमारा जो चले, 
चोट तब हर बार पत्थर से मिली। 

चांद को अपनी चमक पे है गुमाँ , 
रोशनी  उसको  दिवाकर से मिली। 

अब शिकायत क्या सनम तुमसे करें, 
चाहते  सबको  मुकद्दर  से  मिली। 

भूल  जायेगे तुम्हें  यह  तय  किया, 
भूल ने  की  सीख ठोकर  से  मिली।

©Uma Vaishnav #बेवफाई #ग़ज़ल 
#HeartBreak
ग़ज़ल 
एक झूठी आस दिलबर से मिली। 
बेवफाई जब सितमगर से  मिली। 

दिल जला कर वो हमारा जो चले, 
चोट तब हर बार पत्थर से मिली। 

चांद को अपनी चमक पे है गुमाँ , 
रोशनी  उसको  दिवाकर से मिली। 

अब शिकायत क्या सनम तुमसे करें, 
चाहते  सबको  मुकद्दर  से  मिली। 

भूल  जायेगे तुम्हें  यह  तय  किया, 
भूल ने  की  सीख ठोकर  से  मिली।

©Uma Vaishnav #बेवफाई #ग़ज़ल 
#HeartBreak
umavaishnav1851

Uma Vaishnav

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Growing Creator
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