पुरुषार्थ को वो सार्थक करता , ऐसा वो गुणवानी है वो महावीर वो परम वीर , वो हल धर माहा बलवानी है जिसके कर्मो से धरा अपने स्वर्ण शिखा दिखलाती है सावन भी उसके धर्मों में अपनी सार्थकता बतलाती है जल के हर एक बूंदों से वो नव जीवन पनपाता है जीव जंतु को मित्र माने पालन पोषण वो कर जाता है समग्र विश्व का भूक मिटाता , ऐसा वो महा दानी है। पुरुषार्थ को वो सार्थक करता , ऐसा वो गुणवानी है वो महावीर वो परम वीर , वो हल धर माहा बलवानी है शांत सरोवर की भांति उसकी छवि की ये पहचान है साधारण वस्त्रों के अंदर वो अतुल्य पौरुष विद्यमान है ना किसी से बैर, ना ही घमंड का तनिक उसको भान है मैत्री भाव दिखता हरदम , ऐसा वो उत्तम शोर्यवन है भोला भला शांत स्वभाव , उसकी यही निशानी है।। पुरुषार्थ को वो सार्थक करता , ऐसा वो गुणवानी है वो महावीर वो परम वीर , वो हल धर माहा बलवानी है रण भूमि सा बना खेत में वो हल से धरा की सिना फाड़े है किस्मत को है वो दव लगा के प्रकृति से भी वो लड़ डाले है कठोर परिश्रम के चरम का वो पहेचान कराता है मिट्टी के हर एक² कण का वो महत्व बतलाता है पसीने से जो धरा को सींचे , ऐसा वो कर्मठी प्राणी है ।। पुरुषार्थ को वो सार्थक करता , ऐसा वो गुणवानी है वो महावीर वो परम वीर , वो हल धर माहा बलवानी है भरी दोपहरी सूर्य देव को वो एक मात्र ललकारा है आंधी तूफान बारिश भी उस्को परास्थ ना कर पाया है कई आपदा आए उसपे फिर भी वो ना चकनाचूर हुआ पौरुष के वो डोले लिए कर्म भूमि में आकृष्ट हुआ लौह तुल्य सा देह चमकता , ऐसा वो जिस्मानी है।। पुरुषार्थ को वो सार्थक करता , ऐसा वो गुणवानी है वो महावीर वो परम वीर , वो हल धर माहा बलवानी है hjcx