कैसे भूल जाऊँ... आखिरकार बता दे कोई मुझे कि कैसे भूल जाऊँ, तेरा वो दूर से मेरी तरफ देख के मुस्काना कैसे भूल जाऊँ, तेरा वो करीब होकर मुझे गले से लगाना कैसे भूल जाऊँ, तेरे वो नम्र होंठों की छुअन के एहसास को कैसे भूल जाऊँ, वो तेरा हारे का सहारा बनना कैसे भूल जाऊँ, वो तेरा लबों से मीठे सुर की प्रेम का बयार कैसे भूल जाऊँ, हर लम्हे हर एहसास और हर वक़्त मैं तू है तो कोई मुझे बताए कि कैसे भूल जाऊँ, आखिर कोई तो मुझे बताए की इस एहसास को कैसे भूल जाऊँ, तू मेरे सबेरे की वो पहली किरन हैं तू जिसकी रोशनी बिना जीवन का मोल नहीं तू चाँद की वो रोशनी की तरह है जिसके बिना जीवन मैं शीत लहर नहीं, आखिर कैसे भूल जाऊँ....कैसे भूल जाऊँ।। ©Rakesh Bhardwaj #Love #poem #RaKa