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वाणी में मिठास हृदय में प्रसन्नता श्वास, पग और मन

वाणी में मिठास हृदय में प्रसन्नता
श्वास, पग और मन कर स्थिर
आँखों में अभी भी अतृप्त प्रतीक्षा
तेरी प्रीत ही एकमात्र मेरा स्वालंब। • मेरा संबल •
`````````
वाणी में है विषाद के कण, हृदय में है नव कौतूहल, 
श्वासों में कंपन है, पग अस्थिर है और मन भी चंचल।

आँखों में अब किसी की भी अमर-प्रतीक्षा नहीं रही,
मेरी श्वास,निःश्वास की ध्वनि ही मेरा एक मात्र संबल।
वाणी में मिठास हृदय में प्रसन्नता
श्वास, पग और मन कर स्थिर
आँखों में अभी भी अतृप्त प्रतीक्षा
तेरी प्रीत ही एकमात्र मेरा स्वालंब। • मेरा संबल •
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वाणी में है विषाद के कण, हृदय में है नव कौतूहल, 
श्वासों में कंपन है, पग अस्थिर है और मन भी चंचल।

आँखों में अब किसी की भी अमर-प्रतीक्षा नहीं रही,
मेरी श्वास,निःश्वास की ध्वनि ही मेरा एक मात्र संबल।