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बरसो बाद मिली थी ओ । उसकी आँखों में आज भी वहीं प्

बरसो बाद मिली थी ओ ।
 उसकी आँखों में आज भी वहीं प्यार था 
शायद उसकी आंखें बहुत कुछ कहना चाहती थी ।
 पर न जाने क्यों कुछ कह न पाई ।
सोई हुई प्यार को आज फिर उकेर कर गुमसुम चली गई
 न जाने क्यों मुझे ओ अपनी याद दिलाती है।
आखिर क्या है ? उसकी मंसूबा ओ क्यों मुझे यादों के सपनों में छोड़ जाती है।
बरसों बाद मिली थी ओ।।

©jayprakash kumar nirala #सैडकविता Swati Mungal Nikhilchauhan77 dnyaneshwari gulewad  Anjali  sneha yadav1225
बरसो बाद मिली थी ओ ।
 उसकी आँखों में आज भी वहीं प्यार था 
शायद उसकी आंखें बहुत कुछ कहना चाहती थी ।
 पर न जाने क्यों कुछ कह न पाई ।
सोई हुई प्यार को आज फिर उकेर कर गुमसुम चली गई
 न जाने क्यों मुझे ओ अपनी याद दिलाती है।
आखिर क्या है ? उसकी मंसूबा ओ क्यों मुझे यादों के सपनों में छोड़ जाती है।
बरसों बाद मिली थी ओ।।

©jayprakash kumar nirala #सैडकविता Swati Mungal Nikhilchauhan77 dnyaneshwari gulewad  Anjali  sneha yadav1225