बरसो बाद मिली थी ओ । उसकी आँखों में आज भी वहीं प्यार था शायद उसकी आंखें बहुत कुछ कहना चाहती थी । पर न जाने क्यों कुछ कह न पाई । सोई हुई प्यार को आज फिर उकेर कर गुमसुम चली गई न जाने क्यों मुझे ओ अपनी याद दिलाती है। आखिर क्या है ? उसकी मंसूबा ओ क्यों मुझे यादों के सपनों में छोड़ जाती है। बरसों बाद मिली थी ओ।। ©jayprakash kumar nirala #सैडकविता Swati Mungal