जिसका नाम मुहोब्बत है,,,, वो कब रुकती है दिवारो से! सरहद पार हसीना बैठी; चित चित की तश्वीर सजोये आज का युग डिजिटल है लेकिन मुहोब्बत डिजिटल नही होनी चाहिये,,,,,,