ये सावन जैसे गीतौ का मेला। ये सुहानी मौसम और ये शाम की चंचल वेला।। ये मीठी भीनी भीनी मिट्टी की सुगंध। जैसे प्रियवर से मिलने को प्रतिबंध।। फुलो का खिलना विहगो का चहचहाना। मानो प्रियवर का रुठना और प्रियतम का मनाना।। ये झींगुर की झुनझुनाहट ये बादल की गड़गड़ाहट। जैसे प्रियवर के आने की आहट।। सावन में चहुँ और बिखरी हरियाली। जैसे प्रियवर से मिलने को प्रियतमा के मुख में छाइ हो लाली।। ये सावन जैसे गीतौ का मेला। ये सुहानी मौसम और ये शाम की चंचल वेला।। #सावन और प्रियतम