वर्षो से आम हैं कोई अजुबे नहीं हैं। अभी किनारे पर पड़े हैं डुबे नहीं हैं। आएंगी मौजें तो देखा जाएगा । अभी भागने के मंसूबे नहीं हैं । कुछ आवाजें आस-पास गुँज रहीं हैं। कि हम जख्मों से भरे हैं डुबे नहीं हैं। ये आवाजें क्या जानेंगी सब्र मेरा। हम कई लहरों से लड़े हैं डुबे नहीं हैं। #dubenahihai