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फूल समझ के तोड़ ना देना , मै दृ़संकल्प की धारी हूं

फूल समझ के तोड़ ना देना ,
मै दृ़संकल्प की धारी हूं ।
मै ही दुर्गा मै ही काली ,
समझ ना मै सिर्फ नारी हूं।
मै धरती की सुंदर काया, 
मै ही दुष्ट संघारी हूं।
चंचल नयनों में नीर लिए ,
मै सबला व्रत धारी हूं ।
कंठ सजल संगीत लिए ,
मै ही रण में हुंकारी हूं ।
मेरे पद जो पड़े , वहां फूल खिले ,
मै बसंत ऋतु की अवतारी हूं।
फूल समझ के तोड़ ना देना,
मै दृ़संकल्प की धारी हूं। #नारी,,,,
फूल समझ के तोड़ ना देना ,
मै दृ़संकल्प की धारी हूं ।
मै ही दुर्गा मै ही काली ,
समझ ना मै सिर्फ नारी हूं।
मै धरती की सुंदर काया, 
मै ही दुष्ट संघारी हूं।
चंचल नयनों में नीर लिए ,
मै सबला व्रत धारी हूं ।
कंठ सजल संगीत लिए ,
मै ही रण में हुंकारी हूं ।
मेरे पद जो पड़े , वहां फूल खिले ,
मै बसंत ऋतु की अवतारी हूं।
फूल समझ के तोड़ ना देना,
मै दृ़संकल्प की धारी हूं। #नारी,,,,
shubhanjali7928

Shubhanjali

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