घिरा हु मजबूरियों से अब हर पल आफत सा लगता है। जो मेरा अजीज है वो भी पराया सा लगता है।। मुद्दतें बितायी साम का कोई हिसाब नही मेरे पास। आज भीड़ का जत्था भी एक वीरान सा लगता है वीरान